कनखल, हरिद्वार के वैश्य कुमार सभा भवन में प्रेमचंद गुप्ता एवं कौटुम्बिक सदस्य, कनखल, हरिद्वार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथावाचक आचार्य डॉ० पं० आनंद बल्लभ जोशी जी महाराज ने कहा कि भक्तों को, साधको को हमेशा यह विश्वास रखना चाहिए कि प्रभु हमेशा मेरे साथ है, किसी विपदा के प्रभु ही मेरा साथ देंगे । नाते-रिश्ते सब यहीं रह जाएंगे, बल्कि मुझे छोड़ जाएंगे अतः हर समय प्रभु को पुकारते रहना चाहिए । ना की अंतिम असहाय अवस्था में ही पुकारना चाहिए ।
कथावाचक आचार्य डॉ० पं० जोशी जी ने गज ग्राह कथा की याद दिलाते हुए कहा कि यही गज ग्राह कथा का तात्पर्य है। साधक गृहस्त को अपनी दैतीय व आसुरी प्रवृत्तियों के सहयोग से अमृत फल प्राप्ति हेतु चिंतन मंथन करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें गौ सेवा, गुरु सेवा और संत सेवा के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
कथावाचक आचार्य डॉ० पं० जोशी जी ने प्रबंधन विज्ञान दृष्टी से बताया कि किसी से मांगने हेतु छोटा रूप बनाकर ही मांग रखनी चाहिए। जिस प्रकार तीन पग भूमि हेतु विश्वनियंता वामन रूप धारण कर ही बलि राजा के पास गए थे।
आज के प्रमुख अथितियों में दिनेश शास्त्री, कुलपति, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार; रमेश चंद्र शर्मा, पूर्व प्राचार्य, आर्य इंटर कॉलेज, हरिद्वार; डॉ० हरि नारायण जोशी, बुद्धिजीवी; पंडित ललित उपाध्याय; लोकगायिका श्रीमती सीमा मैंदोला एवं श्री रवि मैंदोला, डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट उपस्थित थे।
दिनेश शास्त्री जी ने कहा कि आज के पर्यावरण में श्रीमद्भागवत पर व्याख्यानों की श्रृंखला चलनी चाहिए तभी वैदिक संदर्भ में श्रीमद्भागवत को समझा जा सकता है। साथ ही लोकगायिका सीमा मैंदोला ने राम जन्म व कृष्ण जन्म पर भजन सुनाकर भारी मात्रा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ को अपने भजनों के माध्यम से थिरकने को मजबूर कर दिया ।