मंसूरी, देहरादून की लोकगायिका रेशमा शाह को वर्ष 2021 के लिए लोक संगीत के क्षेत्र में आज दिनांक फरवरी 15, 2023 को ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार’ दिया जायेगा । ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार’ संगीत नाटक अकादमी द्वारा कला के विभिन्न क्षेत्रों में दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी ने नई दिल्ली में 6-8 नवंबर 2022 को आयोजित अपनी सामान्य परिषद की बैठक में भारत के 102 (तीन संयुक्त पुरस्कार सहित) कलाकारों का चयन किया गया जिन्होंने वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार के लिए कला प्रदर्शन के संबंधित क्षेत्र में युवा प्रतिभाओं के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उन 102 कलाकारों में एक नाम उत्तराखंड की बेटी लोकगायिका रेशमा शाह जी का भी है । Click here for complete details of awardees वर्ष 2006 से दिया जाने वाला उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 40 वर्ष से कम आयु के कलाकारों को कला प्रदर्शन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट युवा प्रतिभाओं की पहचान करने व प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें अपने जीवन की शुरुआत में ही राष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से प्रदान किया जाता है, ताकि वे अपने चुने हुए क्षेत्रों में अधिक प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ काम कर सकें। बताना चाहेगें कि लोकगायिका रेशमा शाह का जन्म 1986 में गाँव सनब, नैन बाग के पास, डाकघर मोगी, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ था। रेशमा शाह के पिता किसान थे और मां गृहिणी थी । गांव के दूसरे बच्चों की तरह इनकी भी शुरुआती पढ़ाई, गाँव के ही एक प्राथमिक विद्यालय में हुई। छोटी उम्र में ही, आपकी शादी जिला टिहरी गढ़वाल के गांव थत्यूड़ में हुई । शादी के बाद भी आपने अपनी पढ़ाई जारी रखी, क्योंकि यह भलीभांति जान गयी थी कि शिक्षा ही जीवन का आधार है। इसलिए, इन्होनें विपरीत परिस्थितियों में भी अपना स्नातक तक की शिक्षा पूरी की । उन्होनें हमारे संवादाता को बताया कि मुझें बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। मुझें जब भी गाने का मौका मिला, मैंने इसे कभी नहीं छोड़ा। इन्होंने अपना संगीत और लोकगीतों की गायन कला की प्राथमिक शिक्षा "गुरु राज प्यारे जी" से ली। जिन्होंने उन्हें जौनसारी, जौनपुरी, कुमाऊंनी और गढ़वाली लोकगीतों की विभिन्न शैलियों और विधाओं से परिचित करवाया और लोकगीतों की गायन शैली में निपुण बनाया। उन्होनें बताया कि संगीत में मेरी रुचि देखकर संगीत प्रेमियों का झुकाव मेरी ओर बढ़ने लगा और मुझें इस क्षेत्र में स्वतः ही काम मिलने लगा। मेरे प्रति लोगों का प्यार, आशीर्वाद और प्रोत्साहन देखकर मेरा हौसला बढ़ता गया और मैंने फैसला लिया कि लोकसंगीत के माध्यम से मैं उत्तराखंड की संस्कृति लिए काम करती रहूँगी और यही मेरे जीवन एक मात्र लक्ष्य होगा।
वो बताती है कि आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा ठीक न होने के कारण और लोगों से मिल रहे स्नेह को देखते हुए मैनें संगीत को ही अपनी आजीविका का एक साधन बना लिया और फिर धीरे-धीरे मुझें बड़े -बड़े प्लेटफॉर्म पर परफॉर्म करना का अवसर मिलता चला गया । लगातार मेरे द्वारा इस क्षेत्र में काम करने और मेरी मेहनत से मेरी गुणवत्ता में सुधार होता गया। जिससे मेरी लोकप्रियता बढ़ती चली गयी । इससे मेरे परिवार को भी आर्थिक मदद मिली ।
YouTube व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॅार्म के आने के बाद, मुझे बहुत से नए प्रोडक्शन हाउस और लोकगायकों के साथ गाने का भी अवसर मिला । हालांकि उससे पहले भी रेशमा शाह जी कई कैसेट और सीडी प्रोडक्शन हाउस, जैसे टी-सीरीज, रामा कैसेट्स आदि के लिए लोकगीतों की एल्बम के लिए काम कर चुकी थी।
बताना चाहेगें कि रेशमा शाह जी को देश-विदेश में लगातार उत्तराखण्ड सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए बहुत से सम्मान भी मिलें । उन्होंने बताया कि मैं आज भी अपने उत्तराखंड की संस्कृति के लिए काम कर रही हूँ। उत्तराखंड की संस्कृति को जीवित रखना और अपने लोकगीतों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है।
‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार’ के तहत कलाकारों के उत्साहवर्धन के लिए 25,000 रूपये की धनराशि के साथ सम्मानित किया जाता है। कलाकारों को यह पुरस्कार संगीत नाट्य अकादमी के चेयरमैन द्वारा दिया जाता है।
(Ustad Bismillah Khan Yuva Puraskar 2021)