आज 11 जून अमर शहीद प. राम प्रसाद बिस्मिल जी की जयंती है पर राष्ट्रवादी सरकारें 15 वर्षो से चल रहे अशित पाठक, भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और स्वर्गीय राजीव दीक्षित के मित्र के नेतृत्व राष्ट्रवादियों के आंदोलन और मांग के बाद भी सरकार के मंत्री और सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी ।
अमर क्रांतिकारी शहीदों की नगरी शाहजहांपुर की धरा पर जन्मे बिस्मिल जी के बलिदान के बाद उनका परिवार का जीवन बेहद गरीबी में बिता था । उनके छोटे भाई का देहांत दवा और इलाज के अभाव में हुआ, “माँ मूलमती देवी और बहन शास्त्री देवी” का जीवन एक जर्जर मकान में बीता और अत्यंत गरीबी में बीते । किसी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को इसकी जानकारी दी । तब इनकी माँ को उन्होंने 500 रुपये भेजे जिसमे माँ ने 80 वर्गगज जमीन खरीदी । बिस्मिल जी के सोने के बटन याद में सहेज के रक्खे थे उनको बेंच दिया ।
किसी तरह माँ और बहन ने तिनका तिनका जोड़कर कमरा और उसके ऊपर अटारी बनवाई, बिस्मिल जी की बहन लोगो के यहाँ खाना बनाने का काम करती थी । कुछ लोग तो बताते है गरीबी इतनी थी कि बर्तन भी मांजे कालीबाड़ी मंदिर के बाहर फूल भी बेंचे, दुर्भाग्य है इस देश का कि जिस क्रान्तिकारी ने देश के लिये सर्वस्व बलिदान कर दिया उनके पिता मुरलीधर और माँ मूलमती का देहांत कब और कैसे हुआ न देश समाज को पता चला न ही किसी नेता या समाजसेवी के द्वारा कोई खबर बन सकी ।
यह मकान आज भी खिरनीबाग में जीर्ण शीर्ण अवस्था मे है यहां बिस्मिल जी के परिवार से कोई नही है इस घर के रहने बाले नारायण लाल कश्यप के परिवार वाले दावा करते हैं कि यह मकान उन्होंने कटरा के एक छोटेलाल दर्ज़ी से खरीदा था इससे पहले यह मकान किसी विद्याराम के पास था जो उन्होंने बिस्मिल जी की बहन शास्त्रीदेवी से खरीदा था, एक समय मुख्यमंत्री रहे प. गोविंद बल्लभ पंत ने उनकी याद में एक पत्थर लगवाया था वह भी अब गायब है….
लगातार कई वर्षी से हमारे और हमारे साथियों के द्वारा भी अमर बलिदानी प.रामप्रसाद बिस्मिल जी के घर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की आवाज उठती रही पर न जनपद और न ही देश के नेताओं के कानों में कोई जूँ रेंगी । कुल मिलाकर यह वास्तव सत्य सिद्ध हो रहा है कि कल गोर अंग्रेजो का राज्य था आज काले अंग्रेजो का । जो बलिदानियों उनके परिवार और उनकी स्मृतियों के प्रति कोई संवेदना नही रखती है । यहाँ तक कि इस मकान के बदले दूसरा मकान देने के लिये हम राष्ट्रभक्तो ने मकान में रहने बाले लोगो को मना लिया था । वह तैयार थे पर जब एक मकान तय कर लिया गया तो मुकर गए और एक करोड़ की डिमांड कर कहने लगे कि एक नेता ने हमे एक करोड़ दिलवाने को कहा है ।
जैसा कि सभी को ज्ञात है शाहजहाँपुर बलिदानियों की धरा है और अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल भारत माँ को आज़ादी दिलाने बाले अग्रणी क्रान्तिकारी रहे, उन्होंने अपना सर्वस्य बलिदान अपनी मातृ भूमि के लिए हँसते हँसते दे दिया और आपको ये भी ज्ञात होगा कि शाहजहाँपुर शहीदों की नगरी है जहाँ शहीद बिस्मिल जी, अशफाक उल्ला और ठाकुर रोशन सिंह का जन्म हुआ। और आपको संज्ञान होगा कि इसी शहीदों की नगरी में शहीदो की शहादत का बार बार अपमान हुआ और हो रहा है।
इसी पावन धरा पर शाहजहाँपुर में ही जन्मे पूर्व में भारत स्वाभिमान पतंजलि योग पीठ के उत्तर प्रदेश के राज्य प्रभारी एवं बाबा रामदेव और स्वदेशी के प्रखर वक्ता राजीव दीक्षित जी के साथी रहे अशित पाठक जी अपने सैकड़ो क्रांतिकारी साथियों के साथ वर्षो से बिस्मिल जी के मकान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करवाने की मांग और ठा० रोशन सिंह तथा अश्फाक उल्ला खान की स्मृतियों को सहेज कर रखने की मांग सरकार से कर रहे हैं । परन्तु शहीद बिस्मिल जी के मकान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करवाने की मांग को भीषण आन्दोलन करने के बात भी शासन और प्रशासन के कानों में जूँ नहीं रेंगी ।
लगातार 8 वर्षो से 2009 से 2018 तक राष्ट्रपति महोदय से लेकर प्रधानमंत्री और सरकारो के राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्रियों को, देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह को शाहजहाँपुर में ही ज्ञापन और प्रार्थना पत्र देने के बाद भी शासन और प्रशासन ने कोई संज्ञान न लिया ।
अशित पाठक जी के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने भारत माँ पर शाहदत देने बाले शहीदों के सम्मान और उनकी स्मृतियों को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की मांग 23 जनवरी 2013 को एक भीषण क्रांतिकारी आंदोलन शाहजहाँपुर में हर तहसील और हर ब्लॉक में छेड़ा गया । शासन और प्रशासन ने नेताओं के इशारो पर शहीदों के सम्मान के इस आंदोलन को न केवल क्रांतिकारियों पर बर्बरता से लाठी चार्ज किया । बल्कि गंभीर आरोपों में नेताओं के इशारे पर झूठे मुक़दमे कायम किये । जैसे वो क्राँतिकारी देशभक्त न होकर शातिर मुजरिम हो ,उस दिन ये बात समझ में आई ये देश आज भी गुलाम है, कल अंग्रेजों का गुलाम था और आज काले अंग्रेज (नेता) और काले अंग्रेजो के प्रशासन और पुलिस का ।
इसका उदाहरण सिर्फ इसी बात से मिलता है कि इस देश में दुष्ट काले अंग्रेज नेताओं की मूर्तियाँ पर जनता की खून पसीने की गाढ़ी करोडो अरबो रुपये की कमाई को खर्च कर उनके जिन्दा रहते भी लगा दी जाती है पर अमर क्रांतिकारी बलिदानी प.राम प्रसाद बिस्मिल जी के मकान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया जा रहा, राष्ट्र स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष अशित पाठक जी वर्षो से बिस्मिल जी के मकान को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग उठा रहे है शाहजहाँपुर की जनता और क्रांतिकारी युवा उनकी आवाज और आंदोलन के साथ सदैव खड़े रहते है, पर काले अंग्रेजो की सरकारो पर चाहे वह बसपा,सपा या तथाकथित राष्ट्रवादी भाजपा की सरकार जो 4 वर्षो से केंद्र में और 1.5 वर्षो से राज्य में रही हो जिले में दोनों सरकारो के दो दो कद्दावर मंत्री हो पर फिर भी बलिदानी बिस्मिल जी का मकान स्मारक न घोषित हो पाया ,
अशित पाठक जी की पहल पर राष्ट्र स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा स्वयं इस मकान को खरीदकर बिस्मिल जी का स्मारक बनाने का प्रयास 2015 में शुरू किया गया । परन्तु वहाँ भी मकान में रहने बाले लोगो को यह कहकर कि तुम्हे इस मकान के करोडो मिलेंगे और उन्होंने मकान स्मारक हेतु बेचने से राष्ट्र स्वाभिमान ट्रस्ट को मना कर दिया । जहाँ किसानो के बिना मर्जी के सरकारे बड़ी बड़ी कंपनियों को फैक्टरियां लगा मुनाफा कमाने के लिये किसानो की जमीन जबर्दश्ती अधिग्रहण कर ली जाती है । वहाँ जिसने देश की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी उसके घर को अधिग्रहण कर राष्ट्रीय स्मारक ये नेता और सरकारे आज तक न बना पाई । शहीदों की सम्मान की लड़ाई लड़ रहे अशित पाठक जी आज भी हार नही माने है और उन्होंने कहा अगर राष्ट्रवादी सरकारो के कार्यकाल में भी शहीदों को सम्मान न मिला तो राष्ट्र के महानायकों के सम्मान के लिए देश के एक एक युवा को फिर से बिस्मिल, अशफाक, रोशन और भगत बनाने के लिए हम सब गाँव गाँव घर घर गली गली में जायेंगे और शहीदों के सम्मान और शहीदों के सपनो का भारत बनायेंगे ।
उनकी मुख्य मांगे प्रमुख है :
- अमर शहीद प.राम प्रसाद बिस्मिल के घर को तुरंत कब्ज़ा मुक्त कर राष्ट्रीय शहीद स्मारक घोषित किया जाए जिससे उनकी स्मृतियों को सहेज कर रक्खा जा सके ।
- अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह एवं अशफाक उल्ला खान की स्मृतियों और स्मारकों को उचित सम्मान देकर सहेज कर रक्खा जाये ।
- शहीद ए आज़म भगत सिंह की प्रतिमा अविलम्ब निगोही के हमज़ापुर चौराहे पर पुनर्स्थापित की जाये जिससे ये प्रमाणित हो कि हम आज़ाद देश रह रहे है न की आज भी काले अंग्रेजों के गुलाम देश में ।
- शाहजहाँपुर शहीदों की नगरी है इसे ऐतिहासिक महत्व देते हुए इसे पर्यटन स्थल घोषित किया जाए जिससे देश विदेश से सैलानी आकर शहीदों की स्मृतियों और उनकी जीवनी के साक्षात दर्शन कर प्रेरणा ले सके ।
- निगोही शहीद भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित करने पर देशभक्त क्रांतिकारियों पर झूठे मुक़दमे कायम किये गए उन्हें सरकार तुरंत वापस ले और दोषी तत्कालीन अधिकारीयों पर कठोर कार्यवाही हो ।
अशित पाठक जी कहते है अगर फिर भी देश के स्वाभिमान के प्रतीक शहीदों के सम्मान की उपर्लिखित माँगो को शासन और प्रशासन ने नहीं माना तो ये माना जाएगा की सरकार के दो दो मंत्री और केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी, और प्रशासन शहीदों के सम्मान के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं है और फिर पूरे देश में शहीदों के सम्मान के संकल्प का एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाएगा । अतः हमारी माँगो को गंभीरता से लिया जाये और ये प्रमाणित किया जाये कि देश में सरकार शहीदों की सम्मान करने बाली राष्ट्रवादी सरकार है जिसको हम राष्ट्रभक्तों ने बड़ी उम्मीदों से चुना था, न कि काले अंग्रेजों की अत्याचार करने वाली और जनता की भावनाओं और संवेदनाओं को कुचलने वाली अधर्मी और शहीद विरोधी सरकार है।