1981 में अपनी मां नरगिस दत्त को खोने वाले संजय दत्त ने आज दिवंगत अभिनेत्री को उनके जन्मदिन पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी । संजय दत्त ने नरगिस दत्त के जन्मदिन पर अनुष्ठान करने के बाद, संग्रहीत पारिवारिक एल्बमों के पन्नों के माध्यम से पुरानी यादें ताज़ा की । उन्होंने अपने माता-पिता – नरगिस और सुनील दत्त – की अपनी कुछ पसंदीदा यादों को जिंदा किया और इसे एक भावनात्मक पोस्ट में संकलित किया, जो पुरानी यादों को प्रदर्शित कर रहा था । नरगिस दत्त को याद करते हुए 61 वर्षीय अभिनेता संजय दत्त ने लिखा: ” आप जैसा कोई और नहीं । जन्मदिन मुबारक हो, माँ। “
नरगिस के बारे में :
नरगिस भारतीय हिंदी फिल्मों की एक खूबसूरत अदाकारा थी । उन्होंने कई हिट फिल्मे दी तथा अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये । अपने उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका है । श्री 420 और मदर इंडिया उनकी सफलतम फ़िल्में रही है । मदर इंडिया फिल्म ऑस्कर के लिए नामित हुई थी ।
नरगिस दत्त का जन्म फातिमा अब्दुल रशीद के रूप में 1 जून, 1929 को कलकत्ता में हुआ था । हालांकि उनके जन्मस्थान को लेकर विवाद है, कुछ लोग उनका जन्म इलाहबाद में होना मानते है । नरगिस के पिता उत्तमचंद मूलचंद, रावलपिंडी से ताल्लुक रखने वाले समृद्ध हिंदू थे एवं माता जद्दनबाई, एक हिंदुस्तानी क्लासिकल गायिका थी तथा दो भाई, अख्तर व अनवर हुसैन थे । नरगिस की माता भारतीय सिनेमा से सक्रियता से जुडी हुई थी । वह गायक, नर्तक, निर्देशक, संगीतकार और अभिनेत्री के रूप में एक हरफनमौला थी । उनकी प्रिय पुत्री नरगिस ने भारतीय फिल्मों में बहुत कम उम्र (6 वर्ष) में प्रवेश कर लिया था । उनकी पदार्पण फिल्म थी तलाश-ए-हक़ जो 1935 में रिलीज हुई थी ।
मदर इण्डिया की शूटिंग के दौरान सुनील दत्त ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहज स्वीकार का लिया था । 11 मार्च 1958 को नरगिस ने सुनील दत्त से विवाह कर लिया और फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया । सुनील दत्त एक मशहूर फिल्म अभिनेता थे । उनके तीन बच्चे हुए, संजय, अंजू और प्रिया । वर्तमान में संजय दत्त फिल्म कलाकार है तथा प्रिया दत्त राजनीती से जुडी हुई है ।
60 के दशक में वह फिल्मों में यदा-कदा फिर नजर आई । इस काल की कुछ फिल्मों में एक थी ‘रात और दिन’ (1967), जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नेशनल फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त हुआ । 3 मई, 1981 को 51 वर्ष की उम्र में पेंक्रियाटिक कैंसर से नरगिस का देहांत हो गया । उनकी याद में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेसन की स्थापना हुई ।
कैरियर
1935 में जब नरगिस महज पांच बरस की थी मां जद्दनबाई ने अपनी फिल्म ‘तलाश-ए-हक़’ में उनसे काम करवाया । इसी फिल्म से उनका नाम बेबी नरगिस पड़ा था । चौदह वर्ष की उम्र में निर्देशक महबूब खान की फिल्म ‘तक़दीर’ में मोतीलाल की हीरोइन के तौर पर उनका पहला ऑडीशन हुआ था ।
समाज सेवा
नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका रही है । उन्होंने नेत्रहीन और विशेष बच्चों के लिए काम किया था । वे भारत की पहली स्पास्टिक्स सोसाइटी की पेट्रन बनी थी । उन्होंने अजंता कला सांस्कृतिक दल बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे, उनका मनोरंजन करते थे । बांग्लादेश बनने के बाद 1971 में उनका दल पहला था जिसने वहां कार्य किया था ।
सम्मान
नरगिस पहली अभिनेत्री थी जिसे पद्मश्री दिया गया । सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वालों में भी वह प्रथम अभिनेत्री थी। मुंबई में बांद्रा में उनके नाम पर सड़क है । हर साल हो रहे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म को नरगिस दत्त अवॉर्ड दिया जाता है ।
फिल्म
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