ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती, सूर्य ग्रहण तीनों एक साथ : जानिये समय, लाभ व पूजा विधि, करें पहले से ये तैयारी – आचार्य उमेश बडोला

Share The News

अमावस्या व शनि जयंती : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है । इस दिन दान- पुण्य करना लाभदायक होता है । इस बार अमावस्या 10 जून को पड़ रही है । इस अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है । इस अमावस्या का विशेष महत्व है । इस अमावस्या के दिन वट सावित्री, शनि जयंती जैसे त्योहार पड़ रहे हैं । इस दिन पूजा- पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है । इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है । आइए जानते हैं इस बार की अमावस्या क्यों है खास, जानिए इस दिन से जुड़ी विशेष बातों के बारे में –

ज्येष्ठ अमावस्या का शुभ मुहूर्त :

अमावस्या तिथि प्रारंभ – दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त – शाम 04 बजकर 22 मिनट तक

पूजा विधि : अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए । अगर आप पवित्र नदी में नहीं जा सकते है तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालें । इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर तर्पण करें । तांबे के बर्तन में जल, अक्षत, लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें । इस दिन पितरों की आत्मा के लिए पूजा करें और उपवास रखें । बाद में गरीबों और ब्राह्मण को दक्षिणा दें ।

शनि जयंती : हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है । इस दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था । मान्यता है कि शनि जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने से शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है । इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है । भगवान शनि भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र है ।

सूर्य ग्रहण 2021 : सूर्यग्रहण 10 जून को लगेगा । यह ग्रहण ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर लग रहा है । यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा । भारतीय समयानुसार ग्रहण दोपहर 01:42 बजे से शुरू होगा जो शाम 06:41 बजे समाप्त होगा । भारत के पूर्वोत्तर व पश्चिमोत्तर भागों में आशिंक रूप से दिखाई देगा, महत्वपूर्ण बात ये है कि यह सूर्य ग्रहण उत्तराखंड में दिखाई नहीं देगा । इस सूर्यग्रहण को उत्तर-पूर्व अमेरिका, यूरोप, उत्तरी एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में देखा जाएगा । इस सूर्यग्रहण को खंडग्रास, रिंग फिंगर और वलयाकार सूर्य ग्रहण भी कहा जा रहा है । भारत में दिखाई न देने के कारण ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा ।  ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं, पूजा पाठ एवं अन्य प्रकार के मंगल अनुष्ठान रुक जाते हैं । वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु और केतु ग्रह के कारण ग्रहण लगता है, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन लगने वाला ग्रहण वृष राशि में लगेगा, हालांकि इससे सभी राशियां प्रभावित होती हैं ।

आचार्य उमेश बडोला
ज्योतिषाचार्य व कर्मकांड एवं श्रीमद्भागवत कथा वक्ता
विवेक विहार दिल्ली || 9871565053

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!