हरिद्वार : शिव तांडव स्तोत्रम् के बाद सीमा मैंदोला ने रिलीज किया महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम्, लोग कर रहे हैं – बेहद पसंद

Share The News

हरिद्वार, उत्तराखंड की लोक गायिका सीमा मैंदोला धर्म पत्नी रवि मैंदोला व उनकी टीम ने नवरात्रि के शुभ अवसर पर महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् की प्रस्तुति दुर्गा नृत्य के साथ एवं मनमोहक दृश्यों को संलग्न करके इतने अनूठे व प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया हैं कि बार-बार देखने का मन होता है । एक बार आप भी अवश्य देखें और गुजारिश है कि अंत तक पूरा देखें, न्यूज़ M2N का दावा है कि आप यक़ीनन दुबारा अवश्य देखेगें । वीडियों और न्यूज़ के कॉमेंट बॉक्स में बताएं कि आपको उनका यह प्रयास कैसा लगा ।

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् का लिंक :

बताना चाहेंगे कि इससे पहले भी सीमा मैंदोला कई गढ़वाली भजन व लोकगीत निकाल चुकी हैं । लेकिन जब उन्होंने पिछली दफा सबसे कठिन शब्दों के प्रयोग वाला रावण रचित शिव ताण्डव गाया तभी से उनके पास नवरात्रि पर दुर्गा का सबसे प्रभावशाली, लाभकारी और कठिन महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् गाने की फ़रमाइशें आने लगी । बहुत ही कम समय में सीमा मैंदोला ने उत्तराखंड वासियों का दिल जीता लिया और एक के बाद एक प्रस्तुति लेकर आ रही हैं ।

इंटरव्यू के दौरन उन्होंने शिव तांडव और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम के लिए कलाकार सुनील कौशिक जी व वीडियो एडिटर पुत्र कृष मैंदोला का भी आभार प्रकट किया जिन्होंने दोनों ही स्तोत्रम में अपने नृत्य से व उच्च कोटि की वीडियो एडिटिंग कर प्रस्तुति में चार चाँद लगा दिए ।

उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें गायकी पसंद थी और घर का काम करते करते गाना, गाना उनकी आदत बन गयी थी । लेकिन पहाड़ों में बहुत ज्यादा सुविधा ना होने के कारण वो इस क्षेत्र में आगे ना बढ़ सकी । जब सोशल मीडिया और यूट्यूब के प्रचलन से फेमस होते लोगों को उन्होंने देखा तो अपने पति श्री रवि मैंदोला जो कि एक वेब डिज़ाइनर और डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट हैं उनके साथ अपनी इच्छा साझा की और इस प्रकार उनकी मरती हुई एक प्रतिभा को फिर से एक नया रूप मिला । उन्होंने बताया कि उनकी धार्मिक प्रवृति होने के कारण संस्कृत उनको शुरू से ही बेहद पसंद थी । संस्कृत के श्लोक उनको हमेशा झट से याद हो जाया करते थे । अतः उन्होंने विलुप्त हो रही संस्कृत भाषा को चुना ताकि उनकी प्रस्तुतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक बन सके ।

संस्कृत भाषा का उत्थान और वेदों के स्तोत्र को अपनी गायकी के माध्यम से उजागर करना ही उनका लक्ष्य भविष्य में रहेगा । बाकी उत्तराखंड के गढ़वाली लोकगीत तो वो सदा गाती ही रहेंगी । उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, गोपाल बाबू गोस्वामी, मीना राणा, अनुराधा निराला, कल्पना चौहान, प्रीतम भरतवाण उनके मनपसंद गायक हैं ।

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!