सुरेतू मामा (Suretu Mama) एक ऐसा जौनपुरी हारुल है जिसने रातों – रात मंजू नौटियाल को बुलंदियों तक पहुँचा दिया । उत्तराखंड में बच्चों से लेकर बुढ्ढ़े तक हर एक इस गीत का इतना दीवाना है कि अपने आप को नाचने से रोक नहीं पाता । शायद ही उत्तराखंड का कोई ऐसा घर हो जहाँ यह गीत ना बजा हो । हालांकि लोकगायिका मंजू नौटियाल ने सुरेतू मामा (Suretu Mama) से पहले भी कई लोकगीत गाये लेकिन इस लोकगीत ने उनको एक ऐसी नई उड़ान दी जो शायद ही उन्होंने कभी सोची थी । व्यूज की बात करें तो आज यह लोकगीत 1,25,00,000 (एक करोड़ पच्चीस लाख) के पार जा चुका है, जोकि अपने आप में उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव जौनपुर से काफी संघर्षों के बाद निकली मंजू नौटियाल के लिए बड़े गर्व की बात है । अपने सभी इंटरव्यू में मंजू नौटियाल इस सबका श्रेय अपने श्रोताओं को ही देती है जिन्होंने उनके हर गीतों को इतना प्यार व आशीर्वाद दिया ।
उनकी आवाज़ की एक अलग सी खनक ही उनकों बाकी सब लोकगायकों से जुदा करती है और उनकी आवाज का यही जादू है कि आज उत्तराखंड के अधिकतर मेल – फीमेल लोकगायक उनके साथ गाने के लिए हर कीमत में तैयार है । लेकिन अभी तक मंजू नौटियाल ने इसका कभी नाजायज फायदा नहीं उठाया । न्यूज़ M2N की टीम बताते हुए उन्होंने कहा कि “जो आम खर्चा होता है मैं हमेशा उसी की गुजारिश करती हूँ, शुरुवाती दौर में यदि किसी के पास नहीं भी हुआ तो मैनें कभी किसी को निराश नहीं किया – लेकिन जब लोगों ने ही मेरे गानों से अपने चैनल को उठा कर मेरे ही बारे भ्रांति फैलाना शुरू कर दी तो मुझें भी थोड़ा प्रोफेशनल होना पड़ा ।
वैसे तो मंजू नौटियाल के साथ सैकड़ों लोकगायको व लोकगायिकाओं ने अपने-अपने चैनल के लिए गीत गाये और लोगों ने पसंद किये लेकिन मंजू नौटियाल व सीमा मैंदोला की जोड़ी इतनी हिट होगी ऐसा किसी ने कभी नहीं सोचा था । एक इंटरव्यू के दौरान मंजू नौटियाल की जान पहचान हुई हरिद्वार की रहने वाली सीमा मैंदोला (लोकगायिका / व्लॉगर) से जोकि उनका ही इंटरव्यू लेने पहुँच गयी देहरादून उनके निवास स्थान पर ।
यह इंटरव्यू तो हुआ ही लेकिन उसके बाद उसी दिन दोनों ने साथ में मिलकर लिख डाला एक ऐसा गीत जो 15 ही दिन में 1 लाख और आज 2.5 लाख से ज्यादा लोग देख चुकें है। उत्तराखंड टूरिज़म को बढ़वा देने के लिए निकले गए इस लोकगीत को ना केवल देश-विदेश में रह रहे उत्तराखंड के भाई-बंधुओं का दिल जीता लिया है बल्कि अन्य परदेशी लोगों के दिलों में भी अपनी जगह बनायी, जोकि गढ़वाली बोली तक नहीं जानते ।
चल तै पहाड़ घूमि औला | Chal Tai Pahad Ghumi Aula | Garhwali Song | Singer Manju Nautiyal & Seema Maindola
इसके बाद उनका सिलसला यही तक नहीं थमा और जनता की डिमांड पर कावड़ के दिनों इन दोनों मिलकर कावड़ियों के लिए जोकि इनका अपना पहला हिंदी / हरयाणवी भजन है उसको निकल दिया जोकि डीजे पर हर एक कावड़ियों को थिरका देने वाला रहा, जिसके बोल है – बम बम बोले हर हर भोले । इस भजन को लोगों ने बेहद ही पसंद किया और आज भी लोग इस भजन को अपना प्यार व आशीर्वाद दे रहें । इस भजन की खास बात गढ़वाली और जौनपुरी लोकगायक का हिंदी के साथ हरयाणवी बोली मिलकर भजन को बनाना व गाना है ।
Bum Bum Bole – Har Har Bhole | Sawan Special Kawad DJ Song | Singer Manju Nautiyal & Seema Maindola
अभी लोग “बम बम बोले हर हर भोले” पर लोग नाच ही रहे थे कि एक दिन डॉ० अतुल बमराडा, सहायक अध्यापक, कार्यरत: राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय, गंगा भोगपुर जी जोकि रवि मैंदोला पति लोकगायिका सीमा मैंदोला के मित्र है ने इच्छा जाहिर की कि क्यूँ ना आप लोग मिलकर उत्तराखंड को एक गढ़वाली सुंदर सी सरस्वती वंदना दो जोकि भविष्य में स्कूलों में बच्चों द्वारा गायी जाय । लोकगायिका सीमा मैंदोला ने बताया कि हम दोनों पति -पत्नी को डॉ० बमराडा जी का यह सुझाव बहुत अच्छा लगा और हमनें उस पर उसी दिन से काम करना शुरू दिया । और सरस्वती वंदना को लिखने का काम हमनें श्री राजेन्द्र प्रसाद कुकरती जी, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सम्मानित कवि एवं समाजसेवी, ग्राम : मागथा; मल्यधार, यमकेश्वर को दिया गया जोकि पहले से ही हमारे लिए 01. लीजा रैबार, हे घुघूती; 02.हरचि ग्येन !; 03. खुद मैते की……जैसे सुपर हिट गीत दे चुके थे । आगे सीमा मैंदोला ने हमें बताया कि कुकरती जी पर भी माँ सरस्वती जी की ऐसी कृपा हुई कि उन्होंने इस वंदना को उसी दिन लिख डाला जिस दिन डॉ० अतुल बमराडा जी का फोन आया था, जबकि पुराने बहुत से ऐसे विषय आज भी है जिनके गीत आज भी अधूरे है ।
हे माँ मेरी हंसासिनी | Hey Maa Meri Hansasani | Sarswati Vandana | Singer Manju Nautiyal & Seema Maindola