उत्तराखंड : कोरोना की तीसरी लहर हो सकती है प्रदेश के लिए घातक – चिकित्सकों ने जताई आशंका

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प्रदेश में फैली कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की चर्चा शुरू हो गई है | डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई है और कहना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकती है । सबसे महत्वपूर्ण इसमें यह कि उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं के हिसाब से काफी पिछड़ा हुआ है। खासतौर पर पहाड़ी जिलों में बाल रोग विशेषज्ञों की बेहद कमी है । 

उत्तराखंड में पिछले डेढ़ माह में 16 हज़ार से अधिक बच्चे और 19 साल तक के युवक संक्रमित पाए गए हैं । स्टेट कंट्रोल रूम कोविड-19 की वेबसाइट के मुताबिक़ इनमें नौ साल की उम्र के 3,020 और 10 से 19 साल के बीच के 13,393 किशोर शामिल थे। बच्चों और किशोरों में संक्रमण में तेज़ी प्रदेश में जारी है ।

अब प्रश्न यह बनता है कि क्या मान लिया जाय कि उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर पहुँच चुकी है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसमें सबसे ज़्यादा नुक़सान बच्चो और किशोरों को होगा । जबकि दूसरी जगहों की तरह उत्तराखंड में भी बच्चें दिनभर घरों के भीतर ही बीतता है।

उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं के हालात यह है कि चमोली और नई टिहरी में एक-एक, उत्तरकाशी में दो, हरिद्वार में छह, रुद्रप्रयाग में तीन, पौड़ी में 12, राजधानी देहरादून में 69 सरकारी डॉक्टरों के भरोसे लाखों बच्चों की सेहत है। ये तो हाल गढ़वाल मंडल का है।

कुमाऊं मंडल की बात करें तो चंपावत में एक डॉक्टर के भरोसे बच्चों की सेहत है । ऊधम सिंह नगर में शिशुओं की संख्या करीब एक लाख है। जबकि जिले के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ पांच बाल रोग विशेषज्ञ ही तैनात हैं । पिथौरागढ़ में तीन और नैनीताल में 11 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। बागेश्वर में दो और अल्मोड़ा में मात्र सात बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं।

क्या है सरकार की तैयारियाँ ?

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं, “सरकार बच्चों के लिए अलग से कोविड हॉस्पिटल तैयार कर रही है, जिनमें अलग कमरों में बच्चों को रखा जाएगा । हम लोग होटलों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं, जिससे उनको कोविड अस्पताल के रूप में तैयार कर सकें जिनमे बच्चों को सिंगल रूम फैसिलिटी दी जा रही है । जिसमें अगर बच्चे के साथ उनके माँ बाप को भी रखना हो, तो उन्हें रखा जा सके ।”

सुबोध उनियाल मानते हैं कि राज्य में चाइल्ड स्पेशलिस्ट पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, लेकिन उनका कहना है कि जितने भी हॉस्पिटल तैयार किए जा रहे हैं उनमें चाइल्ड स्पेशलिस्ट की उपलब्धता रहेगी । हमने सभी ज़िलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अधिकार दे दिया है डॉक्टरों की कमी को देखते हुए वो भर्तियाँ कर सकते हैं ।

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